A REVIEW OF HOW TO DO VASHIKARAN-KAISE HOTA HAI

A Review Of how to do vashikaran-kaise hota hai

A Review Of how to do vashikaran-kaise hota hai

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अपना सही जन्म समय, जन्म स्थान, जन्म तारीख देके जानिए जीवन को खुशहाल बनाने के उपाय कुंडली द्वारा, हस्त रेखा द्वारा, वास्तु द्वारा, अंक गणित द्वारा.

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इस साधना में अक्सर लोग काले जादू का स्तेमाल करते हैं जो की जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है अतः ये निवेदन है की बुरी शक्तियों से आप अच्छाई की उम्मीद न रखे अन्यथा हानि होने की आशंका रहती है. 

मुफ्त की चीजें या बेहतर सुविधाएं? मोदी सरकार के आर्थिक सलाहकार का जनता से बड़ा सवाल

In some way, all of us wish to eliminate our existence troubles. Whether it's a personal issue or perhaps a family problem or possibly a economical issue; we normally attempt to unravel them within our life.

दोस्तों हर किसी की लालसा जीवन में ऐश्वर्य और भोग विलास की होती है लेकिन उसके लिए साधनाओ का गलत मार्ग चुनना आपके लिए नुकसानदायी हो सकता है.

सकारात्मक दिमाग और पूर्ण विश्वास सफलता के प्रति.

वशीकरण को नैतिक रूप से सही नहीं माना जाता है. किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध नियंत्रित करने का प्रयास करना गलत है. यह व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है.

अनुरागिणी यक्षिणी : स्वर्ण मुद्रा से इच्छापूर्ति करने वाली.

एक बार ऐसे प्रतीक बना लिए जाने पर, आप खुद को ही बर्बाद कर डालते हैं।

अगर आप धन भोग विलास जैसे विषय के लिए यक्षिणी की साधना कर रहे है जो की ज्यादातर साधक का प्रथम उदेश्य होता है check here तो अपने चित को स्थिर रखे और संयम के साथ यक्षिणी साधना में आगे बढे.

Getting ready your natural environment is essential for any spiritual perform. Locate a silent, clean Room in which you can conduct your practices devoid of interruptions. Some strategies incorporate:

सद्गुरु : देखिए, अगर आप किसी शिव-मंदिर के सामने की किसी दुकान में जाएं तो आप सौ शालिग्राम खरीद सकते हैं। लेकिन वे शालिग्राम नहीं होते, वे बस अंडाकार पत्थर होते हैं। आप जानते हैं कि जब बच्चे समुद्र तट पर या नदी किनारे जाते हैं, तो वहां पत्थर इकठ्ठा करना उन्हें अच्छा लगता है, यहां तक कि बड़ों को भी। इसलिए लाखों घरों में उस तरह के लाखों पत्थर हैं। वे सब शालिग्राम नहीं हैं। उनका बस आकार वैसा है, क्योंकि अधिकांश पत्थर नदी के बहते जल की वजह से वैसा आकार पा जाते हैं।

शालिग्राम की कथा - शिव के पैरों तले आए पत्थर शालिग्राम बन गए

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